गुजरात में सावन महीने की शुरुआत 20 जुलाई से हो गई है। सावन महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गुजरात के द्वारका धाम से करीब 16 किलोमीटर दूर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। ये भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें नंबर के ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है। शिव पुराण के अनुसार सावन महीने में इस प्राचीन नागेश्वर शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है ये मंदिर करीब 2500 साल पुराना है।
मंदिर के पास है करीब 80 फीट ऊंची मूर्ति
मंदिर परिसर में भगवान शिव की पद्मासन मुद्रा में एक विशालकाय मूर्ति है। जो करीब 80 फीट ऊंची है। जो यहां का मुख्य आकर्षण है। इस मूर्ति के आसपास पक्षियों का झुण्ड मंडराता रहता है। भक्त यहां पक्षियों के लिए अन्न के दाने भी डालते हैं। माना जाता है कि सावन महीने में इस प्राचीन नागेश्वर शिवमंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन और पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। सावन में विशेष रूप से सोमवार को खासी भीड़ रहती है।
शिवपुराण: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से ही खत्म हो जाते हैं पाप
गर्भगृह सभामंडप से निचले स्तर पर है। ज्योतिर्लिंग सामान्य बड़े आकार का है जिस पर एक चांदी का आवरण चढ़ा रहता है। ज्योतिर्लिंग पर ही एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। गर्भगृह में पुरुष भक्त धोती पहनकर ही प्रवेश कर सकते हैं, वह भी तभी जब उन्हें अभिषेक करवाना है। शिवपुराण के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद उसकी उत्पत्ति और माहात्म्य सम्बन्धी कथा को सुनने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
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