रविवार, 21 जून को आषाढ़ महीने की अमावस्या है। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के अनुसार रविवार को अमवास्या होना अशुभ माना जाता है। इस स्थिति का देश-दुनिया पर अशुभ असर पड़ता है। इस तिथि पर तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाने के साथ ही दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों के जानकार काशी के पं. गणेश मिश्र के अनुसार वर्तमान हालातों को देखते हुए घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। आषाढ़ अमावस्या पर ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। पितरों के लिए इस दिन की गई पूजा से कुंडली में ग्रहों की स्थिति से बने पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
सूर्यग्रहण खत्म होने के बाद करें स्नान दान
रविवार को होने वाले सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानी शनिवार की रात को 10 बजे
पं. मिश्र के अनुसार आषाढ़ अमावस्या पर क्या करें
– रविवार को ग्रहण शुरू होने पहले नहा लें। इसके बाद ग्रहण के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें।
– ग्रहण के दौरान गाय के घी का दीपक लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें। फिर ग्रहण खत्म होने पर संकल्प के अनुसार चीजों का दान करें। इसके बाद गाय को हरी घास खिलाएं, कुत्तों और कौवों को रोटी खिलाएं।
– अमावस्या पर ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। ग्रहण खत्म होने के बाद फिर से नहाना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार ऐसा करना जरूरी है।
– ग्रहण खत्म होने के बाद अमावस्या तिथि के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान कर सकते हैं।
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