Thursday, 18 June 2020

21 जून की सुबह होगा सूर्य ग्रहण; भारत में दिखेगा, ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक हो जाता है शुरू, इस दिन क्या करें और क्या नहीं



साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण रविवार, 21 जून को हो रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ग्रहण का स्पर्श सुबह लगभग 10.14 बजे पर, ग्रहण का मध्य 11.56 बजे पर और ग्रहण का मोक्ष लगभग 1.38 बजे पर होगा। भारत में अलग-अलग जगहों पर ग्रहण का समय अलग-अलग रहेगा। ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा। इस दिन राहु-केतु के अलावा गुरु, शनि, बुध और शुक्र वक्री रहेंगे।

प्रश्न 1- ये सूर्य ग्रहण कहां-कहां दिखेगा?

ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। सभी जगह ग्रहण का समय अलग-अलग रहेगा।

प्रश्न 2- इस ग्रहण का भारत में ज्योतिषीय असर होगा या नहीं?

ये ग्रहण भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक भी रहेगा। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस ग्रहण का सूतक 20

जून की रात 10.14 बजे से शुरू हो जाएगा और 21 जून की दोपहर 1.38 बजे तक रहेगा। 2020 का ये एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा।

प्रश्न 3- सूर्य ग्रहण के समय पूजा-पाठ करें या नहीं?

भारत में ये ग्रहण दिखेगा, इस कारण यहां ग्रहण से संबंधित सावधानी, सूतक रखना चाहिए। सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं। जैसे राम नाम, ऊँ नम शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम: आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं।

प्रश्न 4- सूर्य ग्रहण के समय कौन-कौन से काम न करें?

ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि ऐसे समय में सूर्य से हानिकारक तरंगे निकलती हैं जो कि मां और बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। तेल मालिश नहीं करना चाहिए। खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए, जिससे कि पका हुआ खाना ग्रहण के कारण अशुद्ध होने से बच जाए।

प्रश्न 5 – सूर्य ग्रहण के बाद क्या-क्या करें?

ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए। घर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।

प्रश्न 6 – ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता क्या है?

पं. शर्मा के अनुसार ग्रहण के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से अमृत कलश निकला तो देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं के वेश में अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।

प्रश्न 7 – कब होता है सूर्य ग्रहण?

जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है, लेकिन इस ग्रहण का सूतक भारत में नहीं रहेगा, क्योंकि यहां सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा।

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