Saturday, 6 June 2020

भविष्य पुराण के अनुसार इस व्रत से हर तरह के कष्ट हो जाते हैं दूर



संकष्टी चतुर्थी व्रत हर महीने के कृष्णपक्ष की चौथी तिथि को किया जाता है। इस बार यह व्रत 8 जून, सोमवार को किया जा रहा है। भगवान गणेश संकट हर लेते हैं इसीलिए इन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है। हर तरह के संकट से छुटकारा पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश और चतुर्थी देवी की पूजा की जाती है। इनके साथ ही रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद व्रत खोला जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख मिलता है।

संकष्टी चतुर्थी और गणेश पूजा
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.प्रवीण द्विवेदी ने बताया कि संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना। इस दिन भक्त अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति जी की अराधना करते हैं। गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है। इस दिन उपवास करने का और भी महत्व होता है।
भगवान गणेश को समर्पित इस व्रत में श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं। कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और लाभ प्राप्ति होती है।

पूजा की विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
रविवार होने से इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना भी शुभ माना जाता है।
ग्रंथों में बताया है कि व्रत और पर्व पर उस दिन के हिसाब से कपड़े पहनने से व्रत सफल होता है।
स्नान के बाद गणपति जी की पूजा की शुरुआत करें।
गणपति जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें।
संकष्टी को भगवान गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।

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Sankashti Chaturthi on 8th June / According to the Bhavishya Purana, all kinds of sufferings are overcome by this fast.

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