Sunday, 14 June 2020

जब तक क्रोध और लालच जैसी बुराइयों को छोड़ेंगे नहीं, तब तक मन अशांत ही रहेगा, ध्यान करने से ये बुराइयां दूर हो सकती हैं



आज काफी अधिक लोगों का मन अशांत है। बहुत प्रयासों के बाद भी शांति नहीं मिल पा रही है, ऐसी स्थिति में काम बिगड़ते हैं और परेशानियां बढ़ती हैं। मन शांत कैसे हो सकता है, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा…

प्रचलित कथा के अनुसार किसी गांव में एक सेठ था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी। परिवार में भी सब अच्छा ही था। सब कुछ होने के बाद भी सेठ का मन अशांत रहता था।

बहुत प्रयासों के बाद भी उसके मन को शांति नहीं मिल रही थी। तंग आकर वह एक संत के पास पहुंचा। सेठ ने संत से कहा कि महाराज मेरे जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं है, लेकिन मैं ठीक से सो नहीं पाता हूं, मन अशांत ही रहता है। शांति पाने का कोई उपाय बताएं।

संत ने सेठ से कहा कि मैं तुम्हारी समस्याओं को दूर करने का उपाय बता दूंगा, लेकिन पहले तुम मुझे दूध का दान करो। सेठ ने कहा कि ठीक है मैं अभी दूध ले आता हूं। थोड़ी ही देर में सेठ दूध लेकर संत के पास पहुंच गया। सेठ को देखकर संत ने अपना एक बर्तन आगे बढ़ाया, उस बर्तन में सैकड़ों छेद थे। सेठ बर्तन देखकर हैरान हो गया, वह बोला कि गुरुजी इसमें दूध डालूंगा तो टिकेगा नहीं, नीचे गिर जाएगा। कृपया आप कोई दूसरा बर्तन निकालें, जिसमें कोई छेद न हो।

संत ने सेठ से कहा कि तुम सही बोल रहे हो, इस बर्तन में छेद हैं, इस कारण दूध नहीं टिकेगा। ठीक इसी तरह तुम्हारे मन में क्रोध और लालच की वजह से सैकड़ों छेद हो गए हैं, इन छेदों की वजह से ज्ञान की बातें तुम्हारे मन में भी टिक नहीं सकेगी। जब तक मन में ये छेद रहेंगे, तुम्हें शांति नहीं मिल सकती। तुम्हें क्रोध को काबू करना होगा और लालच छोड़ना होगा। अपने धन को परोपकार में खर्च करोगे तो तुम्हें शांति मिल सकती है। रोज मंत्र जाप और ध्यान करोगे तो क्रोध को काबू किया जा सकता है।

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