किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जरूरी है हम लगातार आगे बढ़ते रहें और किसी प्रलोभन न फंसे। इस बात से जुड़ी एक लोक कथा प्रचलित है। लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा की कोई संतान नहीं थी। जब वह बूढ़ा हो गया तो उसे चिंता सताने लगी कि अब उसके बाद इस राज्य का राजा कौन बनेगा।
राजा के मंत्री ने राजा को सलाह दी कि हम अपने राज्य के ही किसी योग्य व्यक्ति को उत्तराधिकारी नियुक्त कर देते हैं। राजा को भी यही सही विकल्प लगा। राजा ने राज्य में घोषणा करवाने की बात कही कि जो भी व्यक्ति राजा से मिलने सबसे पहले पहुंचेगा वह उत्तराधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
मंत्री ने राजा से कहा कि राजन् ऐसे तो बहुत से लोग आ जाएंगे, राजा ने कहा कि चिंता मत करो, हमारे पास तक कोई योग्य व्यक्ति ही पहुंचेगा। राजा की आज्ञा मानकर मंत्री ने अपने राज्य में इस बात की घोषणा करवा दी।
अगले दिन राजा ने अपने राज महल के बाहर बहुत भव्य आयोजन किया। वहां मनोरंजन, खान-पान और अन्य मौज-मस्ती की व्यवस्था कर दी गई। राज्य से बहुत सारे लोग राजा का उत्तराधिकारी बनने पहुंचे थे। सभी लोग इन प्रलोभनों में उलझ गए। लेकिन, एक व्यक्ति ने इन सारी चीजों की ओर ध्यान नहीं दिया। वह सीधे राजा के महल के द्वार पहुंच गया।
द्वार पर कई सैनिक खड़े थे। उन्होंने युवक को रोकना चाहा, लेकिन वह किसी की परवाह किए बिना राजा तक पहुंच गया। राजा उसे देखकर प्रसन्न हो गए और उसे उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।
इस प्रसंग की सीख यही है कि व्यक्ति को लक्ष्य की ओर बढ़ते समय बाधाओं से डरकर या प्रलोभनों में फंसकर रुकना नहीं चाहिए। लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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