Wednesday, 23 September 2020

22 सितंबर को शरद संपात से अब दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगी, शरद ऋतु में आने वाले नवरात्र के दौरान हेमंत ऋतु भी रहेगी



सूर्य के चारों और पृथ्वी के घूमने के कारण 23 सितंबर को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत स्थिति पर था। इस खगोलीय घटना के कारण 23 सितंबर को दिन और रात की बराबर 12-12 घंटे के रहे। उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने को शरद संपात भी कहते हैं। ये सर्दियों के आने का संकेत होता है।

  • 23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिणी गोलार्ध और तुला राशि में प्रवेश करेगा। दिन धीरे-धीरे छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगी। ये स्थिति 22 दिसंबर तक रहेगी। 22 दिसंबर को भारत सहित उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे छोटा और रात सबसे बड़ी होगी। पृथ्वी अपनी ही धूरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई होने से साल भर में वसंत संपात (20-21 मार्च) और शरद संपात (22-23) सितंबर को ही ये स्थिति बनती है। इससे पहले 21 मार्च को वसंत संपात हुआ था।

सूर्य से बदलती है ऋतु और चंद्रमा के हिसाब से त्योहार
पं. गणेश मिश्र ने बताया कि शरद के बीच में आने वाला शरद संपात ऋतुओं के लिहाज से भी खास है। सूर्य की राशि के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होता है। जबकि चंद्रमास के मुताबिक त्योहार मनाए जाते हैं। आमतौर पर बसंत संपात के बाद वसंत नवरात्र या चैत्र नवरात्र होते हैं। वहीं, शरद संपात के बाद शारदीय नवरात्र आते हैं। लेकिन इस बार अधिक मास होने से शारदीय नवरात्र शरद ऋतु के आखिरी दिनों में रहेंगे। इसलिए नवरात्रि के 7 दिन शरद ऋतु में और आखिरी 2 दिन हेमंत ऋतु में रहेंगे। इस बार नवरात्र 17 अक्टूबर को शुरू होंगे।

  • ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक आमतौर पर यह योग या स्थिति तब बनती है जब सूर्य कन्या या तुला राशि में होता है। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र बताते हैं ऐसी मान्यता है कि शरद विषुव में शक्तिपात होता है। यह पृथ्वी पर दैवीय शक्ति के आने का भी संकेत माना जाता है। आचार्य वराहमिहिर ने अपने ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता में भी बताया है कि सूर्य की चाल में बदलाव होने से मनुष्य सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

खगोलीय और ज्योतिषीय घटना एक ही दिन
शरद संपात के साथ ही साल की बड़ी ज्योतिषीय घटना हुई यानी राहु-केतु ने अपनी राशियां बदल ली है। बुधवार को राहु ने वृष राशि और केतु ने वृश्चिक राशि में प्रवेश किया है। पं. मिश्र बताते हैं कि महर्षि पराशर के मुताबिक ये राहु-केतु की उच्च राशियां है। इसलिए ये ग्रह अब देश के लिए शुभ फल देने वाले रहेंगे। इन ग्रहों के शुभ प्रभाव से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है और देश में कुछ बड़े बदलाव भी हो सकते हैं।

  • राहु के कारण देश की सीमाओं से जुड़े विवाद दूर हो सकते हैं। पड़ोसी देशों से भारत के संबंध अच्छे होंगे। कूटनीति से देश के दुश्मनों पर जीत मिल सकती है। दुश्मनों के लिए भ्रम की स्थिति बनेगी। कुछ दुश्मन देश गलत फैसले भी ले सकते हैं।
  • वृश्चिक राशि का केतु देश के दुश्मनों के मन में डर पैदा करेगा। हालांकि कुछ हिस्सों में उपद्रव और विवाद होने की आशंका जरूर है लेकिन राजनैतिक उठापटक के चलते फिर भी देश में कहीं भी ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

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Astronomical event: autumnal equinox 2020; Sharad Sampat on September 22, now days will start getting shorter and nights will be bigger, Hemant season will also be there during the Navratri coming in autumn.

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