सोमवार, 3 अगस्त को रक्षाबंधन है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से कई जगहों पर लॉकडाउन है। बाजार बंद है। ऐसी स्थिति में अगर बाजार की राखी नहीं मिल पा रही है तो बहनें रेशमी धागा या पूजा में उपयोग किया जाने वाला लाल धागा भी भाई को बांध सकती हैं। इसके अलावा रक्षाबंधन पर भाई-बहन नहीं मिल पा रहे हैं तो जन्माष्टमी तक कभी भी बहनें भाई को रक्षासूत्र बांध सकती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगर किसी बहन के पास राखी नहीं है तो वह सिर्फ रेशमी धागा भी राखी के रूप में भाई की कलाई पर बांध सकती है। रेशमी धागा भी न हो तो पूजा में उपयोग किया जाने वाला सूती लाल धागा बांध सकते हैं। अगर ये भी न हो तो सिर्फ तिलक लगाकर मानसिक रूप से भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। मानसिक रूप से यानी मन ही मन ऐसा सोचें की उसने भाई के हाथ पर राखी बांध दी है। इसके बाद भाई के सुखद भविष्य की कामना करनी चाहिए।
रक्षासूत्र का महत्व
भविष्य पुराण में लिखा है कि –
सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम्।
सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।
रक्षाबंधन पर्व पर धारण किया रक्षासूत्र सभी तरह के रोगों और बुराइयों से बचाता है। ये रक्षासूत्र साल में एक बार धारण करने से पूरे वर्ष व्यक्ति की रक्षा होती है।

रक्षासूत्र बांधते समय बोलें ये मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का अर्थ यह है कि प्राचीन समय में एक धागे जैसे रक्षासूत्र ने असुरराज बलि को बांध दिया था, उसी तरह का धागा मैं आपको बांधती हूँ। भगवान आपकी रक्षा करें। यह धागा कभी टूटे नहीं और आप हमेशा सुरक्षित रहें। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को पाताललोक से मुक्त कराया था।
भाई न हो तो अपने इष्टदेव को बांध सकते हैं रक्षासूत्र
जिन महिलाओं का कोई भाई नहीं है, वे हनुमान, श्रीकृष्ण, शिवजी या अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र बांध सकती हैं। पुरुष भी भगवान को रक्षासूत्र बांध सकते हैं।
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