Tuesday, 4 August 2020

जन्म स्थान के अलावा वनवास के समय श्रीराम जहां-जहां रुके, वहां-वहां हैं मंदिर, अब 500 सालों के बाद अयोध्या में बन रहा है भव्य राम मंदिर



राम अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन है। अयोध्या से रामेश्वरम तक राम वनगमन पथ है। जहां-जहां से राम वनवास के दौरान गुजरे थे, चित्रकूट से रामेश्वरम् तक भव्य और पौराणिक मंदिरों की पूरी श्रंखला है। लेकिन, पिछले 500 साल से अयोध्या में ही राम का भव्य मंदिर नहीं था। राम मंदिर के निर्माण से इसकी कमी पूरी होगी। हालांकि, राम के वनगमन पथ को लेकर इतिहासकारों में कुछ भेद है लेकिन सबके नक्शों में प्रयागराज, चित्रकूट, पंचवटी, किष्किंधा और रामेश्वरम् तो आते ही हैं। अलग-अलग रिसर्च के अनुसार श्रीराम वनवास के समय करीब 200 जगहों पर रुके थे। इनमें से 17 जगहों पर कॉरिडार बनाने की योजना है।

ये हैं श्रीराम वनगमन पथ की खास जगहें

अयोध्या से निकलने के बाद श्रीराम, लक्ष्मण और सीता तमसा नदी के घाट पर पहुंचे थे। यहां नाव से नदी पार की और श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यहां गंगा नदी है। इस जगह पर केवट वाला प्रसंग हुआ था। इसके बाद कुरई, प्रयाग, चित्रकूट, सतना, दंडकारण्य, पंचवटी पहुंचे। पंचवटी नासिक के पास स्थित है। यहीं लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। इसके बाद रावण ने सीता का हरण किया।

सीता हरण के बाद श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज में पर्णशाला, तुंगभद्र, शबरी का आश्रम, ऋष्यमुक पर्वत पहुंचे। इसी पर्वत क्षेत्र में श्रीराम-लक्ष्मण की भेंट हनुमानजी से हुई। हनुमानजी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता कराई। श्रीराम ने बाली का वध किया। इसके बाद सीता की खोज में श्रीराम वानर सेना के साथ कोडीकरई से रामेश्वरम की ओर आगे बढ़े। रामेश्वरम् में लंका विजय के लिए श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की। इसके बाद धनुषकोड़ी में लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र पर सेतु बांधा। रामसेतु से श्रीराम श्रीलंका पहुंचे। यहां रावण का वध किया और सीता को मुक्त कराया। इसके बाद पुष्पक विमान से श्रीराम अयोध्या लौट आए थे।

अयोध्या में बनेगा श्रीराम के बाल स्वरूप का भव्य मंदिर

अयोध्या में श्रीराम के बाल स्वरूप का भव्य मंदिर बनेगा। इसका भूमि पूजन 5 अगस्त को हो रहा है। अयोध्या के अलावा वनगमन पथ में भी श्रीराम के कई विशाल मंदिर बने हुए हैं। जानिए वनगमन पथ के खास मंदिरों के बारे में…

चित्रकूट

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट का श्रीराम से काफी गहरा संबंध है। वनवास के समय इसी क्षेत्र में श्रीराम और भरत का मिलाप हुआ था। यहां एक जानकी कुंड है। माना जाता है कि इसी कुंड में सीता स्नान करती थीं। यहां एक स्फटिक की शिला भी है, जिस पैरों के निशान हैं। मान्यता है कि ये निशान सीता के पैरों के हैं। यही अत्रि ऋषि और अनसूइया का आश्रम भी था। चित्रकूट के रामघाट पर श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान ने गोस्वामी तुलसीदास को दर्शन दिए थे।

पंचवटी

महाराष्ट्र में नासिक के पास पंचवटी स्थित है। यहां गोदावरी नदी स्थित है। रावण ने सीता का हरण पंचवटी वन क्षेत्र से ही किया था। नासिक में बारह ज्योर्तिलिंग में से एक त्रयंबकेश्वर स्थित है। त्रेतायुग में पंचवटी वन क्षेत्र को दंडकवन भी कहा जाता था। इस क्षेत्र में उस काल से जुड़ी कई प्रतिमाएं लगाई गई हैं, ताकि यहां आने वाले लोगों को पंचवटी क्षेत्र का महत्व समझ आ सके।

ऋष्यमूक पर्वत

इस पर्वत क्षेत्र को किष्किंधा और हम्पी के नाम से भी जाना जाता है। ये जगह कर्नाटक में स्थित है। इसे यूनेष्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। यहां भी श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान के मंदिर हैं। इसी क्षेत्र में हनुमानजी और श्रीराम की भेंट हुई थी। सुग्रीव से मित्रता के बाद राम ने बाली का वध किया था। यहां पंपा सरोवर है। इसके संबंध में मान्यता है कि इसे ब्रह्माजी ने बनाया था। यहीं बाली की गुफा भी है। इसी क्षेत्र में हनुमानजी का जन्म स्थान भी है।

रामेश्वरम्

दक्षिण भारत में रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग स्थित है। त्रेतायुग में यहीं पर श्रीराम ने लंका विजय की कामना से शिवलिंग बनाया था और पूजा की थी। यहां रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग का भव्य मंदिर है। ये मंदिर समुद्र किनारे स्थित है। मंदिर में कुंड भी हैं, लेकिन इनका पानी खारा नहीं, बल्कि मीठा है। मान्यता है कि श्रीराम ने बाण से इन कुंडों का निर्माण किया था।

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