आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र की रचना की थी। इस शास्त्र में जीवन को सुखी, शांत और सफल बनाए रखने के लिए नीतियां बताई गई हैं। अगर चाणक्य की इन नीतियों को दैनिक जीवन में अपना लिया जाता है तो हमें कई परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। जानिए एक खास चाणक्य नीति…
चाणक्य नीति के तीसरे अध्याय की 21वीं नीति में लिखा है कि- मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्य यत्र सुसंचितम्।
दंपतो: कलहो नास्ति तत्र श्री: स्वयमागता।।
इस नीति में चाणक्य ने कहा है कि जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती है, सिर्फ ज्ञानियों का सम्मान होता है। बुद्धिमान लोगों की बातें मानी जाती हैं, वहां सुख-शांति बनी रहती है। बुद्धिमान लोगों की संगत करने पर हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। जो लोग मूर्ख व्यक्ति के साथ रहते हैं और बुद्धिमान लोगों का विरोध करते हैं, उनके जीवन में दुख बने रहते हैं।
जो लोग धन-धान्य पर्याप्त मात्रा में संग्रहित करते हैं, अन्न का एक दाना भी व्यर्थ नहीं फेंकते हैं, उन लोगों के घर में अन्न की कमी नहीं होती है। इसीलिए कभी भी अन्न का एक दाना भी व्यर्थ नहीं फेंकना चाहिए।
जिस घर में पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद नहीं होते हैं, सभी प्रेम से रहते हैं, वहां सुख-शांति बनी रहती है। पति-पत्नी को हमेशा प्रेम से रहना चाहिए। घर में शांति से रहेंगे तो वैवाहिक जीवन में सुख बना रहेगा।
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