सावन महीने का शनिवार बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन हनुमानजी, शनिदेव और भगवान नृसिंह की पूजा का विधान है। स्कंद पुराण के अनुसार सावन महीने के शनिवार को इन तीन देवों की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन तेल से हनुमानजी और शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही नृसिंह भगवान की विशेष पूजा के बाद ब्राह्मणों को तिल से बना भोजन करवाना चाहिए। इससे मनोकामना पूरी होती है।
स्कंदपुराण: श्रावण शनिवार को हनुमान पूजा से नष्ट होते हैं शत्रु
श्रावण महीने में शनिवार कोहनुमानजी की आराधना करने से हर तरह की बीमारियां दूर हो जाती है। मानसिक और शरीरिक रुप से मजबूती मिलती है। हनुमानजी की कृपा से कामकाज में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। सोचे हुए काम पूरे होने लगते हैं। बुद्धि और वैभव बढ़ता है। शत्रु नष्ट हो जाते हैं और प्रसिद्धि मिलती है।
सावन में शनि और शिव पूजा
भगवानशिव, शनिदेव के गुरु हैं। शिव ने ही शनिदेव को न्यायाधीश का पद दिया था। जिसके फलस्वरूप शनि देव मनुष्यों को कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसलिए श्रावण के महीने में जो भी भगवान शिव के साथ साथ शनिदेव की उपासना करता है। उसको शुभ फल प्राप्त होते हैं। भगवान शिव के अवतार पिप्पलाद, भैरव तथा रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा भी शनि के प्रकोप से रक्षा करती है।
सावन शनिवार को नृसिंह पूजा
स्कन्दपुराण के अनुसार सावन शनिवार को सुबह तिल का उबटन लगाकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान नृसिंह की विशेष पूजा करनी चाहिए। फिर उड़द की दाल से बनी खिचड़ी का नैवेद्य लगाना चाहिए। फिर ब्राह्मणों को भी प्रसाद का भोजन करवा कर दक्षिण देनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान नृसिंह प्रसन्न होते हैं। धन और धान्य बढ़ता है। इसके साथ ही हर तरह का सुख भी मिलता है।
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