शनिवार, 25 जुलाई को नाग पंचमी है। हर साल सिर्फ इसी दिन उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर मौजूद नागचंद्रेश्वर भगवान के पट आम भक्तों के लिए खोले जाते हैं। लेकिन, इस साल कोरोना वायरस की वजह से श्रद्धालु प्रत्यक्ष रूप से नागचंद्रेश्वर की दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन नहीं कर पाएंगे। मंदिर समिति की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर भक्तों के लिए लाइव दर्शन की व्यवस्था की जाएगी।
उज्जैन के पंचांग निर्माता और शास्त्रों के जानकार ज्योतिषाचार्य पं. आनंद शंकर व्यास ने बताया कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व है। हजारों साल पुराने शास्त्रों में भी महाकालेश्वर का जिक्र है। लेकिन, महाकाल मंदिर की वर्तमान इमारत का इतिहास250-300 साल पुराना है। मुगलों के समय में प्राचीन महाकाल मंदिर ध्वस्त हो गया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने उज्जैन पर राज किया। राणोजी सिंधिया ने अपने शासनकाल में महाकाल मंदिर का निर्माण फिर से करवाया था।
मंदिर निर्माण के बाद समय-समय पर अलग-अलग राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। जब मंदिर का पुनर्निमाण हुआ, तब नागचंद्रश्वेर की मूर्ति को मंदिर के ऊपरी तल पर एक दीवार में लगा दिया गया था। संभवत: ये मूर्ति मुगलों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिर के अवशेषों में से मिली थी।पं. व्यास के अनुसार, नागदेव की पूजा सिर्फ नागपंचमी पर ही करने का विशेष महत्व है। इसीलिए महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान के पट नागपंचमी पर ही खोले जाते हैं।
नाग आसन पर विराजित शिवजी और पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा
मंदिर में नागचंद्रेश्वर की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है। ये 11वीं शताब्दी की बताई जाती है।इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती विराजित हैं। महाकालेश्वर मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर ये प्रतिमा स्थित है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश करते हीदीवार पर भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा दिखाई देती है।
भक्तों के लिए रहेगी ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था
महाकाल मंदिर के प्रशासक सुजान रावत ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते नागपंचमी पर आम श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दर्शन नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर की वेबसाइट https://ift.tt/2YWj8Wm और सोशल मीडिया पर ऑन लाइन दर्शन की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा सिर्फ मध्य प्रदेश केभक्तों को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन प्री-बुकिंग के आधार पर ही कराए जाएंगे। महामारी के चलते अन्य प्रदेश के लोगों को मंदिर में दर्शन करने की अनुमति नहीं मिल सकेगी।
महाकालेश्वर दर्शन के लिए मोबाइल में प्ले स्टोर से महाकालेश्वर मंदिर के लाइव दर्शन ऐप को डाउनलोड करना होगा। इस ऐप से दर्शन के लिए बुकिंग की जा सकती है। अपनी इच्छा के अनुसार तारीख और दर्शन का समय चुन सकते हैं। ऐप पर श्रद्धालु द्वारा सभी जानकारियां देने के बाद एसएमएस से परमिशन मिलेगी।
इसके अलावा टोल फ्री नंबर 18002331008 पर भी दर्शन के लिए बुकिंग कराई जा सकती है। 65 और इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, 10 साल से छोटे बच्चे व गर्भवती महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मंदिर में सेनेटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सभी भक्तों को करना होगा।
- भास्कर नॉलेज
एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है महाकालेश्वर
महाकालेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। ये द्वादश ज्योतिर्लिंगों के क्रम में तीसरा है। मान्यता है कि दक्षिणमुखी होने की वजह से महाकाल के दर्शन से असमय मृत्यु के भय और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। सिर्फ इसी मंदिर में रोज सुबह भस्म आरती की जाती है।
पुराणों में महाकालेश्वर का उल्लेख
प्राचीन समय में महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र को महाकाल वन के नाम से जाना जाता था। स्कंद पुराण के अवंती खंड, शिवमहापुराण, मत्स्य पुराण आदि ग्रंथों में महाकाल वन का उल्लेख है। यहां शिवजी यानी महाकाल का ज्योति स्वरूप विराजमान है। इसीलिए इसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
नागपंचमी पर करें नागदेवता की प्रतिमा की पूजा
नागपंचमी पर जीवित सांप की पूजा करने और दूध पिलाने से बचना चाहिए। सांप मांसाहारी जीव है, इसके लिए दूध विष की तरह होता है। नागपंचमी पर नागदेवता की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करनी चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar
https://ift.tt/3eGMZG1
No comments:
Post a Comment