Monday, 15 June 2020

इस व्रत को करने से मिलता है 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने जितना पुण्य



स्कंद पुराण के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत करने का विधान है। इस बार 16 जून को एकादशी तिथि है, लेकिन व्रत 17 जून को किया जाएगा। क्योंकि धर्मसिंधु ग्रंथ में बताया गया है कि जब एकादशी और द्वादशी तिथि साथ रहे तो ये व्रत करना चाहिए। इस बार यह 17 जून को है। इस दिन विष्णुजी की पूजा की जाती है। योगिनी एकादशी व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।

जरूरतमंदों को करें दान
इस दिन नहाकर साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान विष्णु की

मूर्ति को गंगाजल से नहलाकर, चंदन, रोली, धूप, दीप, पुष्प से पूजन और आरती करें। पूजन के बाद जरूरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। अगले दिन सूर्योदय के समय ईष्ट देव को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद का वितरण कर व्रत खोलें। मान्यता हैं कि ये व्रत करना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।

रखें मन स्थिर और शांत
एकादशी का व्रत रखने वाले उपासक को अपना मन स्थिर एवं शांत रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लाएं। दूसरों की निंदा न करें। इस एकादशी पर श्री लक्ष्मी नारायण का पवित्र भाव से पूजन करना चाहिए। भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना चाहिए। एकादशी पर रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है।

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Yogini Ekadashi fast is explained in the Skanda Purana on 17 June

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