उज्जैन से रितेश पटेल के साथ हरिनारायण शर्मा
शिव…यानि मृत्युंजय… और उज्जैन भगवान महाकाल की नगरी…जहां हम पहुंचे है। 79 दिन बाद 8 जून को मंदिर आम भक्तों के लिए खोला तो गया, लेकिन सिर्फ दर्शन के लिए। पूजन-अर्चन के लिए नहीं। कोरोना की शुरुआत में यहां लोगो राहत थी कि हम बचे हुए हैं। लेकिन, देखते ही देखते मौतों का आंकड़ा बढ़ा और अब यह प्रदेश का तीसरा बड़ा कोरोना हॉटस्पॉट बन चुका है। अब तक यहां 725 मरीज पॉजिटिव आ चुके हैं और कोरोना से मौत के मामले में यह इंदौर, भोपाल के बाद तीसरे नंबर पर है। अब तक यहां 64 (8 जून की स्थिति में) मौतें हो चुकी है। 16 मार्च से भस्मारती दर्शन और 21 मार्च से मंदिर में आम भक्तों के लिए प्रवेश बंद था।
अभी हम खड़े है विक्रम विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने जहां…
स्वच्छ भारत अभियान में लोहे को रिसाइकल कर विक्रम-बेताल का पुतला बतौर स्टैच्यू रखा गया है, लेकिन फिलहाल यहां कोरोना की स्थिति भी इन दो पात्रों की तरह ही है। प्रदेश के सबसे पहले निजी मेडिकल कॉलेज आरडी गार्डी की अव्यवस्थाएं विक्रमादित्य की इस नगरी के लिए बेताल से कम नहीं थीं। 850 बेड के इस हॉस्पिटल में लोग जाने से डरने लगे थे। सोशल मीडिया पर भी यहां की अव्यवस्थाएं वायरल होने लगी थीं। इसे जैसे-तैसे सुधारा गया तो बड़नगर के 6 परिवारों में ही 60 लोग संक्रमित हो गए। कुछ अन्य कस्बों में भी मरीज बढ़े। मौत का आंकड़ा शुरुआत में ही डराने वाला था।इसी बेताल से बचने के लिए प्रदेश में फीवर क्लिनिक के पहले यहां 27 मोहल्ला क्लिनिक खुल गए। कलेक्टर आशीष सिंह कहते हैं इससे हमें राहत मिली और आंकड़े कम होने लगे, लेकिन मौतें हो रही थीं। लोग बीमारी छुपा रहे थे। फिर हमने सर्वे टीम तैयार की। उसमें उन डॉक्टरों को ही हेड बनाया जो उस क्षेत्र में इलाज करते थे। इन्हें देख लोगों को डरना कम हुआ, क्योंकि उनके डॉक्टर ही उनके बीच पहुंचे थे। इससे मोहल्ला क्लिनिक की ओपीडी प्रतिदिन 4 हजार तक पहुंची। इससे वे लोग निकल कर आए।
लोग निकले तो हॉस्पिटल सहित अन्य संसाधनों की आवश्यकता थी। ऐसे में तीन साल पुराने एक बिल्डिंग को फिर से तैयार किया और 100 बेड वहां तैयार किए गए। 100 बेड के लिए इंदौर के अरविंदों और देवास के अमलतास मेडिकल कॉलेज की मदद ली गई। बारिश और निसर्ग के बीच गेहूं खरीदी शुरू हो गई। हर साल जिले में 2 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी होती थी, इस साल 8 लाख मैट्रिक टन से ज्यादा हुई। हालांकि पिछले सप्ताह कोरोना की समीक्षा करने आए केंद्रीय सचिव के.सी. गुप्ता ने अब यहां कोरोना नियंत्रण की स्थिति पर संतोष जताया है।

- यहां तो सब कुछ महाकाल के भरोसे
पंडित महेश गुरू (जिनकी पीढ़ियां पिछले 300 साल से यहां पुजा करती आ रही है) कहते हैं- उज्जैन में कोई भक्त एक बोरी चावल लेकर निकले और दो-दो दाने भी एक मंदिर में चढ़ाए तो चावल खत्म हो जाएंगे, मंदिर नहीं। महाकाल के अलावा हरसिद्धि, मंगलनाथ, सिद्धवट, काल भैरव, गोपाल मंदिर सहित 250 मंदिर से ज्यादा बड़े मंदिर हैं, जहां आजीविका ही कई लोगों की देव-दर्शन पर आने वालों से चलती है। ढाई महीने से ज्यादा सब कुछ बंद रहा। अभी भी फल-फूल, प्रसाद, आवागमन, होटल, भोजनालय पूरी तरह नहीं खुले हैं। पिछले 100 साल में तो यहां ऐसा हुआ हो, इन कानों ने नहीं सुना।
- सावन, नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर के दर्शन और कावड़ यात्रा को लेकर भी चिंता
महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु कहते हैं कि चिंता सावन की है। अब मात्र 28 दिन बचे हैं सावन को। जुलाई को सावन की शुरुआत सोमवार से ही होगी। सावन में यहां 70-80 हजार श्रद्धालु आते हैं, वहीं सावन सोमवार को दर्शन और सवारी में 1 लाख से ज्यादा श्रद्धालु होते हैं। हम नहीं चाहते कि महाकाल किसी से दूर हो, लेकिन अभी सवारियों के विषय में सोचना बाकी है। सवारी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ऐसा पर्व 12 ज्योर्तिलिंग में सिर्फ यहीं मनता है। नागपंचमी भी जुलाई के चौथे सप्ताह में होगी। यहां नागचंद्रश्वेर की पूजा भी बड़े स्तर पर होती है, जो मंदिर साल में एक ही दिन खुलता है। कलेक्टर खुद मानते हैं सवारी के साथ कावड़यात्रियों को भी मैनेज तो करना होगा।
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