Tuesday, 16 June 2020

18 जून को किया जाएगा प्रदोष व्रत, इस दिन भगवान शिव की पूजा से दूर होते हैं दोष



हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि को किया जाता है। इस तरह ये महीने में दो बार किया जाने वाला व्रत है। ये व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए किया जाता है। इसमें प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। सूर्यास्त के बाद यानी दिन और रात के मिलन की घड़ी को प्रदोष काल कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार इस समय भगवान शिव की पूजा से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों के अनुसार चंद्रमा ने सबसे पहले भगवान शिव का ये व्रत किया था। इस बार 18 जून गुरुवार को ये व्रत किया जाएगा।

गुरुवार को प्रदोष का संयोग सौभाग्य देने वाला
इस बार गुरुवार को प्रदोष तिथि पड़ रही है। इसीलिए इसे गुरु प्रदोष कहा जाएगा। गुरुवार के दिन प्रदोष का संयोग बनने से इस दिन की गई शिव पूजा से सौभाग्य बढ़ेगा। दांपत्य जीवन के

लिए भी ये व्रत खास हो गया है। इसके साथ ही इस दिन शिव-पार्वती पूजा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाएंगे और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

व्रत से जुड़ी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि प्रदोष के समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य करते हैं। इस दौरान देवता भगवान शिव की स्तुति करते हैं। इसलिए इस समय पूजा करने से सभी दोष खत्म हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।

  • यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है और जो भी इस व्रत को करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। मंगलवार को प्रदोष व्रत करने वाले को रोगों से मुक्ति मिलती है। ये व्रत अगर बुधवार को हो तो हर तरह की इच्छा पूरी होती हैं। गुरुवार को प्रदोष व्रत करने वाले के शत्रुओं का नाश होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भृगु प्रदोष कहा जाता है। जीवन में सौभाग्य वृद्धि के लिए ये प्रदोष व्रत किया जाता है। शनिवार को आने वाले प्रदोष व्रत को करने से पुत्र प्राप्ति होती है और रविवार को प्रदोष व्रत करने से निरोगी रहते हैं।

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Pradosh Vrat will be done on June 18, on this day Lord Shiva’s worship removes the blame

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