Friday, 25 September 2020

शिक्षा और ज्ञान पाने का कोई समय नहीं होता, शिक्षा देने का काम तो बच्चे के जन्म के साथ ही शुरू हो जाता है, इसीलिए बिना समय गंवाए शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए



शिक्षा पाने के लिए हर समय शुभ रहता है। शिक्षा ग्रहण करने में बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए। महात्मा गांधी का शिक्षा के संबंध में एक विचार बहुत प्रचलित है। गांधीजी कहते थे कि एक सभ्य घर के समान कोई स्कूल नहीं है और अच्छे माता-पिता के समान को कोई शिक्षक नहीं है।

एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत अपने प्रवचन में शिक्षा का महत्व बता रहे थे। संत ने कहा कि शिक्षा से ही हमारा जीवन सफल हो सकता है। शिक्षा से हम सही-गलत का भेद समझ पाते हैं।शिक्षा से जुड़ी ये बातें सुनकर एक महिला संत के पास पहुंची और बोली कि गुरुजी बच्चे को शिक्षा देने की सही उम्र क्या होती है?

संत ने उससे पूछा कि आपके बच्चे की उम्र कितनी है?

महिला ने जवाब दिया कि गुरुजी मेरा बच्चा पांच साल का हो गया है। संत बोले कि माताजी आपने को पांच साल की देर कर दी है। बच्चे के जन्म के साथ ही उसे शिक्षा देने का काम शुरू कर देना चाहिए। शिक्षा पाने के लिए हर समय शुभ है।

हमें बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार देना चाहिए। बचपन से ही बच्चों का मन अच्छी बातों की ओर लगा रहेगा तो वे बड़े होकर बुरे कामों से दूर रहेंगे। अगर बचपन में शिक्षा से जुड़े लापरवाही की जाती है तो बच्चों का भविष्य बिगड़ सकता है।

महिला को संत की बातें समझ आ गई और अगले दिन से ही उसने अपने बच्चे को शिक्षा और ज्ञान पाने के लिए गुरुजी के यहां भेजना शुरू कर दिया।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


importance of education and knowledge, motivational story about knowledge, prerak prasang, inspirational story

from Dainik Bhaskar
https://ift.tt/2RWSkjp

No comments:

Post a Comment

कैसे तोड़ें ? - मन और जगत के बंधन को || How to break the bond between mind and world?

श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम  सच्चिदानंद भगवान की जय। सनातन धर्म की जय।  अभी-अभी आप बहुत सुंदर कथा सुन रहे थे। मेरे क...