जिन लोगों का मन शांत रहता है, वे किसी भी काम में आसानी से सफलता हासिल कर लेते हैं। जबकि, कुछ लोग नकारात्मक विचारों की वजह से अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस संबंध में एक लोक प्रचलित है।
कथा के अनुसार पुराने समय एक आश्रम में दो संत हमेशा साथ रहते थे। एक का नाम सुखी और दूसरे का नाम दुखी था। संत सुखी हर हाल में प्रसन्न रहता था, जबकि दूसरा संत हमेशा दुखी रहता था, इसी वजह से उसका नाम दुखी रख दिया गया था।
दुखी संत अपने दुखों का कारण समझ नहीं पा रहा था। एक दिन वह अपने गुरु के पास गया और उनसे पूछा कि लोगों ने मेरे चेहरे के हाव-भाव को देखकर मेरा नाम ही दुखी रख दिया है। मैं भी संत सुखी की तरह ही दैनिक पूजा-पाठ करता हूं, हर काम ईमानदारी से करता हूं, फिर भी मेरे जीवन में दुख ही दुख क्यों हैं?
गुरु ने दुखी संत से कहा कि तुम दोनों एक जैसे काम करते हो, लेकिन दोनों के सुख-दुख के भाव अलग-अलग हैं। सुखी संत का मन हमेशा शांत रहता है, वह संतोषी है। उसे खुद पर भरोसा है कि वह बड़ी से बड़ी परेशानियों को आसानी दूर कर सकता है। इसीलिए हमेशा सुखी रहता है। जबकि तुम हर हाल में अशांत रहते हो, परिणाम को लेकर कभी भी संतुष्ट नहीं होते। तुम्हें खुद पर भरोसा ही नहीं है, नकारात्मक विचारों की वजह से तुम दुखी रहते हो।
शांत मन और आत्मविश्वास की की मदद से हमें सफलता मिल सकती है। इसीलिए नकारात्मक विचारों को छोड़कर हर परिस्थिति में सकारात्मकता देखनी चाहिए। तभी जीवन में शांति आ सकती है।
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