Wednesday, 1 July 2020

आषाढ़ महीने की द्वादशी तिथि आज, इस दिन वामन पूजा करने की परंपरा है



गुरुवार, 2 जुलाई यानी आज वामन द्वादशी व्रत किया जा रहा है। आषाढ़ महीने के देवता भगवान विष्णु के अवतार वामनहीहैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है। वामन पुराण के अनुसार इस दिन व्रत और पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है और जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।

व्रत की विधि
स्कंद पुराण के अनुसार सतयुग में भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था। वामन द्वादशी पर भगवान विष्णु की या वामनदेव की मूर्ति की विशेष पूजा की जाती है। दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक किया जाता है। इस दिन चावल, दही और मिश्री का दान किया जाता है। पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए और ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद श्रद्धा अनुसार दान दिया जाना चाहिए।

पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर नहाएं और पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
  2. इसके बाद भगवान वामन की पूजा और व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा के दौरान शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें।
  4. भगवान वामन की मूर्ति न हो तो विष्णुजी का अभिषेक करें।
  5. इसके बाद भगवान को नैवैद्य लगाकर आरती करें और प्रसाद बांट दें।
  6. पूजा पूरी होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें।

वामन अवतार से जुड़ी कथा

  • सतयुग में असुर बलि ने देवताओं को पराजित करके स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। इसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु के मदद मांगने पहुंचे। तब विष्णुजी ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया। इसके बाद एक दिन राजा बलि यज्ञ कर रहा था, तब वामनदेव बलि के पास गए और तीन पग धरती दान में मांगी।
  • शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग धरती दान में देने का वचन दे दिया। इसके बाद वामनदेव ने विशाल रूप धारण किया और एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्गलोक नाप लिया। तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने वामन को खुद सिर पर पग रखने को कहा।
  • वामनदेव ने जैसे ही बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताललोक का स्वामी बना दिया और सभी देवताओं को उनका स्वर्ग लौटा दिया।

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Dwadashi date of Ashadh month is today, the tradition of worshiping Vamana on this day.

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