अभी सावन माह चल रहा है। इस माह में शिवजी पूजा करने और उनकी कथाओं को पढ़ने सुनने का विशेष महत्व है। शिवजी से जुड़ी कई ऐसी कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें सुखी जीवन से सूत्र बताए गए हैं। यहां जानिए शिवजी और माता सती से जुड़ी एक ऐसी कथा, जिसका संदेश ये है कि कभी भी किसी के घर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए और जीवन साथी की सही बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए…
शिवजी और माता सती से जुड़ी ये कथा कई ग्रंथों में बताई गई है। कथा के अनुसार जब देवी सती ने शिवजी से विवाह किया तो देवी के पिता प्रजापति दक्ष इस वजह से बहुत क्रोधित थे। वे शिवजी को पसंद नहीं करते थे।
एक बार प्रजापित दक्ष ने हरिद्वार में भव्य यज्ञ आयोजित किया। इस यज्ञ में दक्ष ने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन शिव-सती को बुलाया नहीं। नारदमुनि ने ये बात माता सती को बताई कि उनके पिता दक्ष यज्ञ करवा रहे हैं।
देवी सती इस यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं। शिवजी ने माता सती को समझाया कि बिना आमंत्रण हमें यज्ञ में नहीं जाना चाहिए, लेकिन शिवजी के समझाने पर भी वह नहीं मानीं।
शिवजी की सही बात को भी सती ने नजरअंदाज कर दिया और अपने पिता के यहां यज्ञ में चली गईं। जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्हें मालूम हुआ कि यज्ञ में शिवजी के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। ये देखकर सती ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा।
दक्ष ने सती को जवाब देते हुए शिवजी का अपमान किया। शिवजी का अपमान सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी। जब ये बात शिवजी को मालूम हुई तो वे बहुत क्रोधित हुए। इसके बाद शिवजी के कहने पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया।
इस कथा की सीख यह है कि पति-पत्नी को एक-दूसरे की सही सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अन्यथा बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कभी भी किसी के घर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए, वरना अपमानित होना पड़ सकता है।
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