Friday, 17 July 2020

पति-पत्नी को एक साथ करनी चाहिए पूजा और तीर्थ यात्रा, इससे बढ़ता है आपसी प्रेम और जल्दी सफल हो सकती है पूजा-पाठ



पति या पत्नी अकेले कोई पूजा करते हैं तो उसका पूरा फल नहीं मिल पाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार पति-पत्नी को पूजा-पाठ और तीर्थ यात्रा एक साथ करनी चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

विवाह के समय वर-वधू एक-दूसरे को सात वचन देते हैं। इन सात वचनों में से एक वचन ये भी होता है कि पति-पत्नी एक साथ सभी तरह के पूजन कर्म और तीर्थ यात्रा करेंगे। पं. शर्मा के मुताबिक अगर पति या पत्नी अकेले कोई पूजा या तीर्थ यात्रा करते हैं तो उसका अधिक महत्व नहीं माना गया है। पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा जाता है यानी पत्नी पति का आधा अंग होती है। अगर पति-पत्नी दोनों अलग-अलग पूजा करेंगे तो उसका आधा ही फल मिल पाएगा और मनोकामनाएं पूरी नहीं हो पाती हैं।

पति-पत्नी के बीच बना रहता है तालमेल

पति-पत्नी एक साथ पूजा-पाठ, तीर्थ यात्रा और अन्य धार्मिक कर्म करते हैं तो दोनों को साथ रहने का मौका मिलता है। एक-दूसरे की भावनाएं समझने में मदद मिलती है। पूजा-पाठ की क्रियाओं में साथ बैठने से परस्पर प्रेम और तालमेल बना रहता है। वाद-विवाद और कलह होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

पूजन कर्म और तीर्थ क्षेत्र में पति-पत्नी दोनों साथ रहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति समर्पण का भाव भी जागता है। वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए शिवजी और माता पार्वती की पूजा पति-पत्नी को एक साथ करनी चाहिए। अभी सावन माह चल रहा है। इस माह नियमित रूप से शिव-पार्वती की पूजा करने से जल्दी ही सकारात्मक फल मिल सकते हैं।

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old traditions about worship, Husband and wife should do pooja and pilgrimage together, this increases mutual love and can be successful quickly.

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