रविवार, 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इस दिन मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण अमेरिका और अफ्रीका में दिखाई देगा। भारत में नहीं दिखेगा। इस ग्रहण का धार्मिक असर नहीं होता है। इसी वजह से इसका सूतक भी नहीं रहेगा। सभी पूजन कर्म इस दिन किए जा सकेंगे।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करवाने की परंपरा है। प्राचीन समय में आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने ही गांधारी को सौ पुत्र होने का आशीर्वाद दिया था। इस पूर्णिमा के बाद 6 जुलाई से शिवजी का प्रिय सावन माह शुरू हो जाएगा।
महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने गए हैं। इनका पूरा नाम कृष्णद्वैपायन था।
इन्होंने ने ही वेदों का विभाग किया। इसलिए इनका नाम वेदव्यास पड़ा। इनके पिता महर्षि पाराशर तथा माता सत्यवती थीं। पैल, जैमिन, वैशम्पायन, सुमन्तु मुनि, रोमहर्षण आदि महर्षि वेदव्यास के महान शिष्य थे। वेद व्यास ने महाभारत बोली थी और श्रीगणेश लिखी थी।ये है महर्षि वेद व्यास से जुड़ा खास प्रसंग
एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर गए। वहां गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर महर्षि ने उसे सौ पुत्रों की माता होने का वरदान दिया। समय आने पर गांधारी गर्भवती हुई, लेकिन उसके गर्भ से मांस का गोल पिंड निकला। गांधारी उसे नष्ट करना चाहती थी। यह बात वेदव्यासजी ने जान ली और गांधारी से कहा कि वह 100 कुंडों का निर्माण करवाए और उसे घी से भर दे। इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने उस पिंड के 100 टुकड़े कर उन्हें अलग-अलग कुंडों में डाल दिया। कुछ समय बाद उन कुंडों से गांधारी के 100 पुत्र उत्पन्न हुए।
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