Tuesday, 9 June 2020

जरूरतमंद लोगों की मदद करने में मिलता है असली सुख, मिलती है मानसिक शांति



एक प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में किसी गांव में एक आश्रम था। वहां गुरु अपने शिष्य के साथ रहते थे। एक दिन वे अपने शिष्य के साथ गांव में घूम रह थे। तभी उन्होंने देखा कि एक किसान खेत में काम कर रहा है और खेत के बाहर एक पेड़ के नीचे उसका खाना और कुछ सामान रखा है।

शिष्य शरारती था, उसने गुरु से कहा कि गुरुजी क्यों न हम इस किसान के साथ थोड़ा सा मजाक करें और इसका सामान छिपा देते हैं। संत बहुत ज्ञानी थे, उन्होंने शिष्य से कहा कि नहीं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। तुम उसके झोले में थोड़ा सा धन रख दो। फिर देखो क्या होता है।

शिष्य ने गुरु की बात मानकर किसान की थैली में थोड़े पैसे रख दिए। इसके बाद गुरु अपने शिष्य के साथ वहीं एक पेड़ के पीछे छिप गए। कुछ देर बाद किसान खेत से बाहर आया। किसान ने अपनी थैली उठाई तो उसने देखा कि थैली में पैसे रखे हुए हैं।

किसान हैरान हो गया कि यहां पैसे कैसे आ गए? उसने खेत के चारों तरफ देखा, लेकिन वहां कोई दिखाई नहीं दिया। तब किसान ने भगवान को धन्यवाद देते हुए कहा कि हे प्रभु आज मुझे अपने बच्चे की दवाई के लिए पैसों की जरूरत थी। इन पैसों से मैं बच्चों की दवा ले पाउंगा।

गुरु और शिष्य ये बातें सुन रहे थे। शिष्य ने गुरु से कहा कि गुरुदेव आज मैं समझ गया कि किसी से कुछ लेने से असली खुशी नहीं मिलती है, बल्कि जरूरतमंद लोगों की मदद करने से मिलती है। हमें दूसरों की मदद करते रहना चाहिए।

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