Monday, 29 June 2020

30 जून को वक्री बृहस्तपति का धनु राशि में प्रवेश, गुरु ग्रह के लिए करनी शिवलिंग चढ़ाएं केसर मिश्रित जल और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं



मंगलवार, 30 जून की सुबह गुरु मकर से धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस समय गुरु वक्री है। इस वजह से ये मकर से पीछे वाली धनु राशि में प्रवेश कर रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुरु 20 नवंबर तक धनु राशि में ही रहेगा। 13 सितंबर को ये वक्री से मार्गी होगा।

गुरु की स्थिति बदलने से कुछ लोगों के लिए दैनिक जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। गुरु के अशुभ असर से बचने के लिए सभी 12 राशियों के लोगों को नियमित रूप से इस ग्रह से जुड़े शुभ काम करते रहना चाहिए। इन शुभ कर्मों की वजह से देवगुरु बृहस्पति से शुभ फल मिल सकते हैं।

हर गुरुवार तांबे के लोटे में पानी लें और केसर मिलाएं। इसके बाद ये केसर मिश्रित जल शिवलिंग पर चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। आप चाहें तो गुरु ग्रह मंत्र बृं बृहस्पतये नमः का जाप भी कर सकते हैं। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

गुरुवार को स्नान आदि कर्मों के बाद किसी मंदिर जाएं और छोटे बच्चों को केले वितरित करें। कोई बड़ा काम शुरू करने से पहले अपने गुरु का आशीर्वाद जरूर लें।

हर गुरुवार और पूर्णिमा पर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करनी चाहिए। गुरुवार को वट वृक्ष, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से भी देवगुरु बृहस्पति से जुड़े दोष दूर हो सकते हैं।

गुरुवार को शिव-पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, चावल, कुमकुम आदि चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। पूजा के बाद लड्डू अन्य भक्तों को वितरीत करें।

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