Sunday, 6 September 2020

सीता की खोज में लंका जा रहे थे हनुमान, उस समय जाम्बवंत ने कहा था कि रावण को मारना नहीं है, लंका को नुकसान नहीं पहुंचाना है, आप बस सीता का पता लगाकर लौट आना



श्रीरामचरित मानस में देवी सीता की खोज करते हुए हनुमानजी, जाम्बवंत, अंगद और अन्य वानर दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे पहुंच गए। सीता की खोज में लंका जाना था। लंका कौन जाएगा, ये सोचते हुए सबसे पहले जाम्बवंत ने कहा कि मैं अब वृद्ध हो गया हूं, ये काम मैं नहीं कर सकता है।

जाम्बवंत के बाद अंगद ने भी अपनी शक्तियों पर संदेह किया और कहा कि मैं लंका तक तो जा सकता हूं, लेकिन वापस लौटकर आ सकूंगा या नहीं, मुझे ये संदेह है। इसके बाद जाम्बवंत ने हनुमानजी को उनकी शक्तियां याद दिलाई।

जाम्बवंत ने हनुमानजी से कहा कि हे तात्। इस संसार में ऐसा कौन सा कठिन काम है, जिसे तुम नहीं करते हो। श्रीराम के काज करने के लिए ही तुम्हारा जन्म हुआ है। ये बात सुनते ही हनुमानजी आत्मविश्वास से भर गए और अपना आकार बहुत बड़ा कर लिया।

आत्मविश्वास से भरे हनुमानजी ने कहा कि मैं ये समुद्र खेल-खेल में ही पार कर लूंगा और रावण को मारकर त्रिकूटा पर्वत को उठाकर यहां लेकर आ सकता हूं।

हनुमानजी का आत्मविश्वास देखकर जाम्बवंत ने कहा कि आप ऐसा कुछ मत करना। आप सिर्फ लंका में सीता को देखकर लौट आना। लंका को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना है। हम देवी सीता की खबर श्रीराम को देंगे। इसके बाद श्रीराम ही रावण का अंत करेंगे और देवी को लेकर आएंगे। हनुमान आप इस बात का ध्यान रखना।

जाम्बवंत की बात सुनकर हनुमानजी ने पूछा कि यदि अगर कोई खुद आगे होकर मुझ पर प्रहार करे तब भी युद्ध ना करूं?

ये प्रश्न सुनकर जांबवान ने हंसकर कहा कि अपनी आत्म रक्षा के लिए युद्ध किया जा सकता है। इसके बाद हनुमानजी ने लंका के लिए प्रस्थान किया।

लंका पहुंचकर उन्होंने आत्मरक्षा के लिए युद्ध भी किया। रावण के कहने पर हनुमानजी की पूंछ में आग लगा दी गई। इसके बाद उन्होंने पूरी लंका को जला दिया था।

सीता की खोज करके हनुमानजी श्रीराम के पास लौट आए थे। इस एक काम के कारण श्रीराम भी उनके वश में हो गए थे। हनुमानजी ने लंका जाकर जिस प्रकार अपनी बुद्धिमानी से सीता की खोज की थी, उससे श्रीराम भी अतिप्रभावित हो गए थे। श्रीराम ने हनुमानजी से कहा भी था कि मैं तुम्हारे ऋण से कभी भी उऋण नहीं हो पाउंगा। मैं सदा तुम्हारा ऋणी रहुंगा।

इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें हर काम सही तरीके से ही करना चाहिए। हनुमानजी भी सीता को लेकर श्रीराम के पास लौट सकते थे, लेकिन ये धर्म के अनुसार नहीं रहता।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


Hanuman and lanka prasang, sunderkand, shri ram charit manas facts in hindi, ramayana unknown facts in hindi

from Dainik Bhaskar
https://ift.tt/2ZcUtvy

No comments:

Post a Comment

कैसे तोड़ें ? - मन और जगत के बंधन को || How to break the bond between mind and world?

श्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम  सच्चिदानंद भगवान की जय। सनातन धर्म की जय।  अभी-अभी आप बहुत सुंदर कथा सुन रहे थे। मेरे क...