Monday, 28 September 2020

10 अक्टूबर तक सूर्य रहेगा हस्त नक्षत्र में, ग्रंथों के मुताबिक इस दौरान सूर्य को जल चढ़ाने पर परेशानियों से मिल सकती है राहत



सूर्य 27 सितंबर को हस्त नक्षत्र में आ गया है और 10 अक्टूबर तक यहीं रहेगा। ज्योतिषीय घटना होने के साथ ही धार्मिक नजरिये से भी इसका बहुत महत्व है। काशी के ज्योतिषाचार्य और धर्म ग्रंथों के जानकार पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि हस्त नक्षत्र में सूर्य की पूजा करने से हर तरह के रोग और परेशानियां खत्म हो जाती हैं।

  • सांब पुराण में भी कहा गया है कि साल में एक बार ऐसी स्थिति बनती है जब सूर्य हस्त नक्षत्र में आता है और इस दौरान सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाने से मनोकामना पूरी हो जाती है। इस स्थिति को पर्व भी कहा गया है। इस समय सूर्य को जल चढ़ाने से पुण्य प्राप्ति होती है और कई तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक नजरिए से भी इसके कई फायदे हैं।

सक्रिय हो जाते हैं सभी अंग
सूर्य को जल चढ़ाने से सेहत संबंधी फायदे भी होते हैं। माना जाता है कि सुबह सूर्य को चल चढ़ाने से शरीर को भरपूर विटामिन डी मिलता है। इससे सेहत अच्छी रहती है। इंसान का शरीर पंच तत्वों से बना होता है। इनमें एक तत्व अग्नि भी है। सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है। इसलिए सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पर पड़ती हैं। इससे हार्ट, त्वचा, आंखें, लीवर, दिमाग और दूसरे अंग भी सक्रिय हो जाते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से मन में अच्छे विचार आते हैं, जिससे खुशी महसूस होती है। इससे सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है। ये व्यक्ति की इच्छाशक्ति को मजबूत करने का भी काम करता है।

धर्म ग्रंथों के मुताबिक सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को देवों की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है। इसलिए जब सूर्य देव अपने ही नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो इस विशेष स्थिति पर सूर्यदेव को जल चढ़ाने से पुण्य मिलता है।

  • इस परंपरा के संबंध में भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद है। सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस संवाद में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य देव की महिमा बताई गई है। श्रीकृष्ण के अनुसार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करनी चाहिए। भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने सांब को बताया है कि स्वयं उन्होंने भी सूर्य की पूजा की और इसी के प्रभाव के दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।

तांबे के लोटो से सूर्य को जल चढ़ाएं
सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में पानी भरे, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। जल चढ़ाते वक्त ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। इस तरह सूर्य की आराधना के बाद भगवान सूर्य को धूप, दीप दर्शन करवाएं। सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, माणिक्य और लाल चंदन का दान करें। श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है।

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Surya will remain in Hasta Nakshatra till October 10, according to the texts, during this time, the sun can provide relief from troubles

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