गुरुवार, 16 जुलाई को सावन माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी है। इसी दिन ग्रहों का राजा सूर्य मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इन शुभ योगों में शिवजी, विष्णुजी और सूर्य-गुरु की विशेष पूजा करनी चाहिए। सावन शिवजी का प्रिय माह है और एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया था। एकादशी व्रत करने से सुख-समृद्धि और शांति मिल सकती है।
कामिका एकादशी पर सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। इसके बाद घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति और शिवलिंग को गंगाजल से और फिर पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए। पंचामृत स्नान के बाद एक बार फिर से शुद्ध जल से स्नान कराएं। विष्णुजी और शिवजी के साथ ही माता लक्ष्मी और माता पार्वती की भी पूजा करें। लक्ष्मी-विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।
इन देवी-देवताओं को अबीर, गुलाल, इत्र आदि सुगंधित चीजें चढ़ाएं। चावल और फूल अर्पित करें। धूप, दीप जलाकर आरती करें।
विष्णुजी को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। शिवजी को मिठाई चढ़ाएं, ध्यान रखें शिवजी को तुलसी न चढ़ाएं। गुरु ग्रह की पूजा भी शिवलिंग रूप में ही की जाती है। गुरु ग्रह के लिए बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। आरती के बाद पूजा में हुई भूल के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।
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