जगन्नाथ रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद उड़ीसा सरकार ने मंदिर समिति और जिला प्रशासन को इसका पालन करने की हिदायत दी है। गुरुवार रात को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केबिनेट की आपात बैठक बुलाई और इसमें फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाएगा।
सरकार ने जिला कलेक्टर को भी निर्देश दिए हैं कि रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाए। सरकार ने सलाह दी है कि रथयात्रा से जुड़ी परंपराओं को मंदिर के अंदर ही पूरा किया जाए।इधर, पुरी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 12 घंटे का बंद रखा गया है।
एक जनहित याचिका की सुनवाई
में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा नहीं निकालने का फैसला किया था। इस फैसले के विरोध में श्रीजगन्नाथ सेना और श्रीक्षेत्र सुरक्षा वाहिनी नाम की दो संस्थाओं ने पुरी बंद का आह्वान किया है। आज पुरी शहर सुबह 6 बजे से रथयात्रा पर रोक के विरोध में बंद है।शुक्रवार दोपहर को श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति की भी बैठक है। इसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जा सकता है। अगर रथयात्रा नहीं निकलेगी तो इस स्थिति में परंपराओं का निर्वाह कैसे होगा, इसे लेकर समिति सदस्य पुरी मठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से भी मार्गदर्शन लेंगे।
- रथनिर्माण धीमा पड़ा, कारीगर निराश
 
सुप्रीम कोर्ट और उड़ीसा सरकार के फैसले के बाद रथ निर्माण धीमा पड़ गया है। लगभग 40 दिन से रथ बनाने में जुटे 150 कारीगरों का उत्साह खत्म सा हो गया है। हालांकि, वे रथ को अभी भी अंतिम रुप देने में जुटे हैं। 20 जून तक रथ का निर्माण लगभग पूरा हो जाएगा।
- पिछली बार मुगलों ने यात्रा रोकी थी
 
285 साल में यह दूसरा मौका है, जब रथ यात्रा रोकी गई है। पिछली बार मुगलों के दौर में यात्रा रोकी गई थी। इस बार रथयात्रा पर पहले से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इस बीच, भुवनेश्वर के एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?
- बिना श्रद्धालुओं के रथयात्रा निकालने का फैसला हुआ था
 
मंदिर समिति ने पहले रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला लिया था। रथ बनाने का काम भी तेज रफ्तार से चल रहा था। मंदिर समिति ने रथ खींचने के लिए कई विकल्पों को सामने रखा था। पुलिसकर्मियों, मशीनों या हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने पर विचार किया जा रहा था। मंदिर समिति के सदस्य और पुजारी पंडित श्याम महापात्रा ने भास्कर को बताया था कि चैनलों पर लाइव प्रसारण करके चुनिंदा लोगों के साथ रथयात्रा निकाली जा सकती है।
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