Friday, 12 June 2020

कालाष्टमी 13 जून को, इस दिन शाम को प्रदोष काल में भैरव पूजा से दूर होती हैं बीमारियां और डर

हर महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी पर व्रत रखकर भगवान काल भैरव की विशेष पूजा की जाती है। इस बार ये अष्टमी 13 जून शनिवार को है। भगवान भैरव का जन्म अष्टमी तिथि पर प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में हुआ था। इसलिए इस दिन भी शाम को ही भगवान भैरव की पूजा करना ज्यादा शुभ माना गया है। भगवान काल भैरव की पूजा से बीमारियां दूर होती हैं और मृत्यु का डर भी नहीं रहता है।

पूजा विधि

  1. काल भैरव अष्टमी पर शाम को विशेष पूजा से पहले नहाएं और किसी भैरव मंदिर में जाएं।
  2. सिंदूर, सुगंधित तेल से भैरव भगवान का श्रृंगार करें। लाल चंदन, चावल, गुलाब के फूल, जनेऊ, नारियल चढ़ाएं।
  3. भैरव पूजा में ऊँ भैरवाय नम: बोलते हुए चंदन, चावल, फूल, सुपारी, दक्षिणा, नैवेद्य लगाकर धूप-दीप जलाएं।
  4. तिल-गुड़ या गुड़-चने का भोग लगाएं। सुगंधित धूप बत्ती और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद भैरव भगवान को प्रणाम करें।
  5. इसके बाद भैरव भगवान के सामने धूप, दीप और कर्पूर जलाएं, आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें। भैरव भगवान के वाहन कुत्तों को प्रसाद और रोटी खिलाएं।
  6. भैरव भगवान के साथ ही शिवजी और माता-पार्वती की भी पूजा जरूर करें। इस दिन अधार्मिक कामों से बचना चाहिए।


नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी पर शक्ति पूजा
नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी पर काल भैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस रात देवी काली की भी विशेष पूजा का विधान है। शक्ति पूजा करने से काल भैरव की पूजा का पूरा फल मिलता है। इस दिन व्रत करने वाले को फलाहार ही करना चाहिए। इस व्रत के दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है। भगवान काल भैरव की पूजा

इस व्रत से दूर होते हैं रोग
कालाष्टमी पर्व शिवजी के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं और काल उससे दूर हो जाता है। इसके अलावा व्यक्ति रोगों से दूर रहता है। साथ ही उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।



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Todays Kaalashtami: Lord Kaal Bhairav Puja and Vrat Vidhi Importance of Kaal Bhairav Ashtami Festival

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