जब तक किसी काम से बचते हैं, तब तक हमारा डर दूर नहीं हो सकता है और हमें सफलता नहीं मिल सकती। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा का पुत्र बहुत डरपोक था।
राजा अपने पुत्र को तलवार चलाना सिखाना चाहते था, लेकिन राजकुमार में तलवार चलाने का साहस नहीं था, फिर भी पिता ने किसी तरह राजकुमार को थोड़ी बहुत तलवार चलाना सिखा दी थी।
समय-समय पर राजा को युद्ध के जाना पड़ता था, लेकिन राजकुमार अपने पिता के साथ कभी भी युद्ध में नहीं गया, वह लड़ाई से डरता था।राजकुमार की वजह से राजा चिंतित रहता था, लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा था। एक दिन उनके राज्य पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया। दुश्मन काफी अधिक थे। राजा की सेना उनका सामना नहीं कर सकी। राजा को बंदी बना लिया गया। अब सिर्फ राजकुमार ही आजाद था। वह युद्ध मैदान में पहुंच गया। उसके पास लड़ने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं था। उसने तलवार उठाई और ताकत के साथ दुश्मनों में पर टूट पड़ा। राजकुमार को लड़ता देख उसके सैनिक भी जोश में आ गए और उन्होंने भी पूरी ताकत लड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद हालात बदल गए। राजकुमार ने अपने पिता को आजाद करवा दिया।
प्रसंग की सीख
इस कथा की सीख यह है कि हम जब तक किसी काम से बचने की कोशिश करते रहेंगे, तब तक सफलता नहीं मिल पाएगी। कभी भी किसी काम से डरना चाहिए और खुद पर भरोसा रखकर आगे बढ़ना चाहिए। तभी जीवन सफल हो सकता है।
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